अपानवायु, छींक, खाँसी आदि शारीरिक वेगों को नहीं रोकना चाहिये। आयुर्वेद में इन्हें रोकने का निषेध है। इन वेगों के रोकने से अनेक समस्यायें उत्पन्न हो सकती हैं । जिनमें से कुछ बहुत कष्टदायी भी हो सकती हैं । अतः यह जानना आवश्यक है कि अपानवायु रोकने से क्या – क्या समस्या हो सकती है?
वाग्भट रचित अष्टांगहृदयम् में लिखा है कि अपानवायु रोकने से गुल्म, उदावर्त, उदरशूल, क्लान्ति अर्थात् सुस्सी आदि रोग हो सकते हैं ।इससे मल-मूत्र त्याग में भी अवरोध उत्पन्न हो सकता है ।इसके साथ ही आँखों के रोग, भोजन में अरुचि और हृदयरोग भी हो सकता है ।
अधोवातस्य रोधेन गुल्मोदावर्तरुक्क्लमाः। वातमूत्रशकृत्सङ्गदृष्ट्यग्निवदहृद्गदाः।।
अपानवायु/अधोवायु/Fart रोकने से होने वाले अन्य दुष्प्रभाव:-
- अपानवायु रोकने से कब्ज की समस्या गंभीर हो सकती है ।
- हृदय में जलन की समस्या हो सकती है ।
- ठंड लगकर या सामान्य बुखार भी हो सकता है ।
- शरीर पर अनावश्यक अतिरिक्त दाब पड़ने से पित्ताशय और किडनी पर भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है ।
- मिचली आ सकती है और उल्टी हो सकती है ।
- लम्बे समय तक अपानवायु रोकने से और बारम्बार रोकने से बवासीर भी हो सकता है ।
- सिर में दर्द और अधकपारी की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है ।
- आँखों में तनाव हो सकता है ।
- चक्कर आ सकता है ।
- शरीर के किसी भी अंग में वायु से होने वाली पीड़ा हो सकती है ।
- पेट में गंभीर गैस की समस्या हो सकती है ।
- कील-मुहासे चेहरे सहित पूरे शरीर में भी हो सकते हैं ।
- पसीने से दुर्गंध आ सकती है ।
- त्वचा में रूखापन होता है।
- भूख मर जाती है।
- भोजन पचने में समस्या होती है ।
- मल-मूत्र त्याग में बहुत कठिनाई होती है ।
- यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन सहित मूत्रमार्ग के अन्य संक्रमण हो सकते हैं ।
- सुस्ती छायी रहती है ।
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है।
- इसी काम में मन नहीं लगता।
- व्यक्ति या तो बहुत सोने लगता है या सोता ही नही।
इसलिये यह ध्यान रखना चाहिये कि जहाँ तक संभव हो अपानवायु न रोकें।